बजरंगबली की आरती इस पोस्ट में हिंदी में लिखा हुआ है। क्योंकि कई लोगों को संस्कृत में आरती पढ़ने में भिन्न प्रकार की दिक्कत एवं परेशानी की सामना करना पड़ता है। और बजरंगबली की आरती को आप सुबह सूर्य उदय होने के समय या संध्या सूर्यास्त होने के बाद या पूजा के अवसर पर भगवान हनुमान को समर्पित कर सकते हैं।
आरती शुरू करें:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँलोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बलधामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कञ्चन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरीनन्दन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिवे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय सँजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बडाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीहे।
राम मिलाय राज पद दीहे॥
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें कांपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुडावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन रामदुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँलोक उजागर॥
आरती बिन ज्ञान न होई।
हनुमान जी की आरती जो कोई॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
दोहा:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँलोक उजागर॥
दोहा:
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
सीता राम कृपाल जाहि जानूं।
हनुमान हरे सब संकट काहू।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँलोक उजागर॥
(आपकी आरती समाप्ति।)
भगवान हनुमान को आरती के समय पूर्ण श्रद्धा भाव से भजन करना चाहिए। आप इस आरती को प्रिंट आउट करके अथवा स्मार्टफोन या टैबलेट पर रखकर उपयुक्त समय में प्रयोग कर सकते हैं। यह आरती आपके दैनिक जीवन को सुख, समृद्धि, शक्ति, और शुभकामनाओं से भर देगी।