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गौतम बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था।
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को हिंदू धर्म और बहाई धर्म में भगवान की अभिव्यक्ति के रूप में भी पूजा जाता है। कुछ हिंदू ग्रंथ बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं, जो वैदिक धर्म से दूर प्राणियों को भ्रमित करने के लिए पृथ्वी पर आए थे। कुछ गैर-सांप्रदायिक और कुरानवादी मुसलमानों का मानना है कि वह एक पैगंबर थे।
गौतम बुद्ध (Gautam Buddha)
गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) एक प्राचीन आध्यात्मिक नेता थे और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने 6वीं और 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप में जीवन बिताया। उनके शिक्षाएँ और उनके विकसित दर्शन ने बौद्ध धर्म के एक महत्वपूर्ण विश्व धर्म के रूप में उभरा।
प्रारंभिक जीवन:
गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था, जो अब नेपाल में है। उनकी अधिकतम जन्म तिथि अनिश्चित है, लेकिन माना जाता है कि वे लगभग 563 ईसा पूर्व या 480 ईसा पूर्व में पैदा हुए थे। उन्हें राजवंशी परिवार में जन्मा था, जिनके राजा सुद्धोदन और रानी माया थे। परंतु परंपरा के अनुसार, उनके जन्म के समय भविष्यवाणी हुई थी कि वे या तो एक महान राजा बनेंगे या एक महान आध्यात्मिक नेता।
चार दृष्टि और संन्यास:
अपनी विलासिता से दूर होने के बावजूद, सिद्धार्थ ने दुनिया में दुख और अस्थायित्व को देखकर गहरा प्रभाव पाया। उन्होंने चार अलग-अलग अवसरों पर एक वृद्ध व्यक्ति, एक अस्वस्थ व्यक्ति, एक मृतक शरीर और एक संन्यासी साधु से मुलाकात की। ये मुलाकातें उन पर गहरा प्रभाव डाली, जिससे उन्हें दुख की अनिवार्यता और जीवन की अस्थायित्व का अनुभव हुआ।
29 वर्ष की उम्र में, सिद्धार्थ ने दुर्गम और सतत्त्वर्ण रहित जीवन को छोड़ दिया, और दुख से मुक्ति और जीवन का सच्चा अर्थ खोजने के लिए एक आध्यात्मिक खोज में निकल पड़े। उन्होंने अपनी राजकुमारीय जीवन को त्याग दिया, अपने परिवार और महल को छोड़ दिया, और एक साधु के रूप में अस्थायी विश्राम लेने के लिए निकल पड़े।
बुद्धी तक पहुंच:
कुछ वर्षों तक, सिद्धार्थ गौतम बुद्ध नाम से मशहूर हो गए, “जागृत व्यक्ति”। अपने बुद्धी में पहुंचने के लिए, उन्होंने भारत के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए प्राप्त किया। इस गहन आध्यात्मिक अनुभव के दौरान, उन्हें अस्तित्व के स्वरूप, दुख के कारण, और दुख से मुक्ति के मार्ग के बारे में गहन ज्ञान हुआ। इस घटना को “बोधि” या “बुद्धी” के रूप में जाना जाता है।
शिक्षा और बौद्ध धर्म का निर्माण:
अपनी बोधी प्राप्ति के बाद, सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने उत्तर भारत में व्यापक यात्रा की, सभी वर्गों के लोगों के साथ अपने शिक्षाएँ साझा करते हुए। उनकी शिक्षाएँ चार आर्य सत्य (चार नीकट सत्य) पर आधारित थीं, जिनमें दुख की वास्तविकता, इसके कारण, और दुख से मुक्ति का मार्ग शामिल था। आठवीं अष्टांगिक मार्ग, जो नैतिक और नैतिक दिशानिर्देश है, इस मुक्ति को प्राप्त करने का व्यावहारिक मार्ग है।
बुद्ध के शिक्षा सत्त्वर्ण अनुयायियों से लेकर राजाओं और विद्वानों तक विभिन्न अनुयायियों को आकर्षित करने लगीं। उनका संदेश जनसाधारण के मन में असीम भावना पैदा कर गया, और साधु समुदाय (संघ) का विकास हुआ।
अंतिम यात्रा:
अपनी 80 वर्षीय आयु पर, गौतम बुद्ध ने भारत के कुशीनगर में विश्राम प्राप्त किया, और महापरिनिर्वाण (जीवन और मृत्यु के चक्र से छूटकर आध्यात्मिक मुक्ति) प्राप्त की। उनकी मृत्यु को बौद्ध समुदायों में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उपलब्धि:
गौतम बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाएँ मानव इतिहास और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव छोड़े हैं, जो करुणा, सम्यक्ता, और आंतरिक शांति और ज्ञान की खोज को प्रोत्साहित करते हैं। वे मानव इतिहास में सबसे प्रभावशाली और ज्ञानवान व्यक्तियों में सम्मानित होते हैं।